V A N S H G U R U

History

shape-image shape-image shape-image shape-image
वंशावली

History of Vansh Guru

ब्रह्मा, विष्णु और महेश के कई पुत्र और पुत्रियां थी। इन सभी के पुत्रों और पुत्रियों से ही देव (सुर), दैत्य (असुर), दानव, राक्षस, गंधर्व, यक्ष, किन्नर, वानर, नाग, निषाद, मातंग, रीछ, भल्ल, किरात, अप्सरा, विद्याधर, सिद्ध, निशाचर, वीर, गुह्यक, कुलदेव, स्थानदेव, ग्राम देवता, पितर, भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, वैताल, क्षेत्रपाल, मानव आदि की उत्पत्ति हुई। 

वंश लेखकों व वंश परंपरा के वाचक संवाहकों द्वारा समस्त आर्यावर्त के निवासियों को एकजुट रखने का जो आत्मीय प्रयास किया गया है, वह निश्चित रूप से वैदिक परंपरा का ही आज का आदर्श उदाहरण माना जा सकता है। वंशगुरुओं के अनुसार ब्रह्मा जी के मरीचि,अत्रि , अंगीरा, पुलस्त्य, पुलह, ऋतु, भृगु, वशिष्ठ, दक्ष, कर्दम्ब नामक पुत्र एवं सरस्वती नामक पुत्री हुईl मरीचि के कश्यप के विवस्वान(सूर्य) से सूर्यवंश तथा अत्रि के चंद्रमा से चंद्रवंश चला l चंद्रवंश, सूर्यवंश इन दोनों वंशों में जिन्हें आत्मा का ज्ञान हुआ उनके वंशज ऋषि वंश एवं आबू पर्वत पर क्षत्रिय यज्ञ की रक्षा करने वालों के वंशज अग्नि वंश के नाम से प्रख्यात हुए| अत्रि के वंशजों का गोत्र अत्रि एवं कश्यप के वंशजों का गोत्र कश्यप तथा आगे चलकर इनके बेटे- पोतों, पड़पोत्रों और ऋषियों के नाम से गोत्र का उच्चारण शादी व शुभ कार्यों में किया जाता है|

image
image image

Copyright Vanshguru is Proudly Created by Kalari infotech